सातवाहन कालीन उद्योग एवं व्यवसाय

मनोज कुमार

सातवाहन कालीन उद्योग एवं व्यवसाय

Keywords : शर्करा-शक्कर या चीनी, कार्पासिक-कपास के व्यवसाय से सम्बंधित, चर्म-चमड़ा


Abstract

सातवाहन काल में अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार व्यापारएवं वाणिज्य को बनाया गया था। लेकिन व्यापारएवं वाणिज्य भौतिक कारकों की उपस्थिति के बिना संभव नहीं हो सकता। अतः कहा जा सकता है कि सातवाहन काल में साम्राज्य की समृद्धि का मुख्य कारण व्यापार वाणिज्य मात्र नहीं बल्कि उसे अस्तित्व प्रदान करने वाले तत्व अर्थात उद्योगएवं व्यवसाय थे। प्रस्तुत शोध-पत्र में इन्हीं उद्योगएवं व्यवसायों पर प्रकाश डाला जाना अपेक्षित है। व्यापार में उन्हीं चीजों को शामिल किया जाता था जो समाज की आवश्यकतापूर्ति में सहायक हों। जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जो भी उद्यम, उद्योग, प्रयास और प्रयत्न किये गये उन्हें वाणिज्य, उद्योग, व्यवसाय, धन्धा, शिल्प, विधा, विज्ञानएवं कला के नाम से अभिहित किया गया। भोजन जैसी मूलभूतएवं अपरिहार्य आवश्यकता के अतिरिक्त सभ्यता के विकास के अन्तर्गत जिन अन्य वांछित पदार्थों की प्राप्ति के लिए उद्यम किये गये, उनका विस्तार विभिन्न व्यवसायों के रूप में हुआ। सातवाहन काल में इन व्यवसायएवं उद्योगों में बहुत विविधता तथा विशिष्टता शामिल थी जो परम्परा के साथ-साथ अभिनव तत्वों को भी समाहित किये हुए थे। इन सभी व्यवसायों को थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ आज भी देखा जा सकता है।

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