1942 की आष्टी क्रांति

Keywords : आष्टी क्रांति, भारत छोड़ो आंदोलन, सत्याग्रही, वर्धा अदालत, नागपुर हाईकोर्ट


Abstract

मेरा मुख्य उदेश्य की इन शहीदों के गाँव आष्टी गाँव को वो स्थान प्राप्त करवाना जो इसे इतिहास के पन्नों में मिलना चाहिए । आष्टी के शहीदों पर एक प्रामाणिक शोध कार्य करना हैं।

अगस्त १९४२ में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने अंग्रेज़ो को भारत छोड़ो की चुनौती दी और इन्हें भारत न छोड़ने पर जन-आंदोलन छेड़ दिया । 16 अगस्त 1942 को आष्टी गाँव के लोग आष्टी पुलिस चौकी पर सत्याग्रह करने वाले थे। सभी सत्याग्रही आष्टि पुलिस चौकी पहुँच कर सत्याग्रह करने लगे। तभी पुलिस उपनिरीक्षक रामनाथ मिश्रा ने शांति तरीके से आष्टी पुलिस चौकी पर सत्याग्रह कर रहे आष्टी के लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। इस गोली-बारी में गोविंद माल्पे जी,नवाब रशीद खा सादल खा,केशव श्रावण ढ़ोगे,पंची पोलसू गोंड,उदेभानजी डोमाजी कुबड़े शहीद हो गये । उसी समय आस पास के सैकड़ों गाँव के लोग भी आष्टी पुलिस चौकी की तरफ बढ़ रहे थे। इन सत्याग्रहियों का नेतृत्व गुलाबराव वाघ कर रहे थे। जब सत्याग्रहियों को यह पता चला की पुलिस की गोली बारी में उनके साथी मारे गए हैं तो सभी सत्याग्रहियों ने आष्टी पुलिस चौकी पर हमला कर दिया। और आष्टी पुलिस चौकी के इंस्पेक्टर रामनाथ मिश्रा,पुलिस हवलदार श्री लाल सिंह,हवलदार श्री महादेव प्रसाद,श्री विनायक,श्री विनायक को मार डाला । ५ दिसंबर १९४२ को विशेष न्यायालय द्वारा सत्याग्रहियों को फाँसी की सज़ा सुनायी गयी। वहीं सेशन्स कोर्ट, वर्धा नें २१ अक्टूबर १९४४ को नत्थु बाबूजी कुनबी, दलपत भगवान कुनबी,मारोती कृष्णा कोहली, पंजाबराव गणपतराव मानकर को तीन वर्ष से लेकर उम्र कैद की सज़ा दिया गया ।

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