शेखावाटी किसान आंदोलन के उत्प्रेरक तत्व
- Author महेन्द्र कुमार
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- Country : India
- Subject : सामाजिक
किसी आन्दोलन या क्रान्ति की ऊर्जा एवम् आवश्यक अवयव तो स्थानीय मिट्टी व माहौल में मौजूद रहते हैं परन्तु कभी-कभी ये अवयव लम्बे समय तक सुषुप्त अवस्था में पड़े रहते हैं। जब इन्हें आवश्यक प्रेरणा व पथ-प्रदर्शन मिलता है तो पहले से ही खुदबुदा रहा माहौल उत्प्रेरकों के कारण एक निश्चित दिशा पा जाता है और किसी बडे आन्दोलन या क्रान्ति को जन्म देता है।
फ्रांस की क्रान्ति से लेकर आजतक के सभी बड़े आन्दोलन व क्रांतियाँ ऐसी ही समान परिस्थितियों की ओर इशारा करती हैं, जैसे--स्थानीय अवयव, उत्प्रेरक तत्व और एक तीव्रतम क्रिया, प्रतिक्रिया और एक नई चीज, नई धारा का जन्म। ऐसा ही कुछ शेखावाटी के आन्दोलन में घटित हुआ। दीर्घकाल से सुषुप्त पड़ी हुई वहाँ की स्वाभाविक किसान शक्ति, जो एक व्यवस्था के अन्तर्गत आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक बदहाली वशोषण की शिकार हो रही थी, उसमें भी कुछ प्रेरक शक्तियों का समावेश हुआ। ये उत्प्रेरक तत्व मूलतः बाहरी थे जिनका संसर्ग स्थानीय शक्तियों से हुआ और एक महान् आन्दोलन का मार्ग प्रशस्त हुआ। एक विचारधारा, एक जागृति, एक कौमी एकता और अन्ततः एक बदलाव जिसने एक बड़े भू-भाग की आबादी का जीवन परिवर्तन करने में अहम् भूमिका निभाई और एक नयी व्यवस्था को जन्म दिया। द्य
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