इतिहास के संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता की प्रकृति

जुगनू आरा

इतिहास के संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता की प्रकृति

Keywords : इतिहास, सामाजिक गतिशीलता, सामाजिक परिवर्तन, सामाजिक व्यवस्था


Abstract

इतिहास के संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य “सामाजिक व्यवस्था के परिवर्तन” से संबंधित हैं। हम वर्तमान में रह करके अतीत का अध्य्यन करके ऐसे समाज का निर्माण करके का प्रयास करते हैं, जो परिवर्तन के नियम को समाहित किए हुए आगे बढ़ता हों। इतिहासकार की चिंता के घेरे में आने वाले सभी संभावित समाजों का इतिहास होता है, जो किसी ऐसे समाज से जुड़े होते है जिसका लंबा इतिहास रहा होता है। किसी मानव समुदाय का सदस्य होने का अर्थ होता है अतीत के साथ संबंध बनाते हुए अपने को स्थिर करना, भले यह संबंध उसका इतिहास को नकारने के लिए ही हो। इतिहास की समस्या होती है समाज में अतीत के इस बोध और सामाजिक गतिशीलता का विश्लेषण करना और इस बोध में घटित होने वाले परिवर्तन और बदलाव का विचार करना। इतिहास में हम उन समाजों और समुदाय पर विचार करते हैं जिनके लिए मूलतः वर्तमान की एक प्रकार की आधार-संरचना होता है। यहा साफ है की ऐसे अनेक समाज होते है जो अत्यधिक परंपरावादी होते हैं और गतिशीलता को नहीं स्वीकार करते है तो वही दूसरी तरफ ऐसे भी समाज रहे है, जिंहोने नवीनता को स्वीकार किया है।

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