जल संकट एक वैश्विक समस्या : राजस्थान के संदर्भ में एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

विजय यादव

जल संकट एक वैश्विक समस्या : राजस्थान के संदर्भ में एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Keywords : संकट, अमृत, औषधि संतुलन, आवश्यकता, जयपुर, विश्व पटल, खेती-बाडी, लाईफ-लाईन, बूँद-बूँद, प्रकृति।


Abstract

जल अमृत हैं जल में औषधिय गुण विद्यमान रहते हैं अतः जल समस्त जीव जन्तु एवं प्रजातियों के लिए आवश्यकता हैं। भूमि की समरसता के लिए जल का संतुलन आवश्यक हैं इससे पृथ्वी पर हरियाली छाई रहती हैं वातावरण में उत्साह बना रहता हैं तथा सभी प्राणियों का जीवन सुखमय तथा आनन्दमय बना रहता हैं। निःसंदेह जल और जीवन एक दूसरे के पर्याय है जल के बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती, खेद का विषय यह है कि मानव जाति ने जल की महत्ता को समझने में भूल की और इसके संरक्षण एवं संतुलन पर पर्याप्त ध्यान नही दिया। परिणाम स्वरूप निवर्तमान समय में जयपुर जिला राजस्थान प्रदेश एवं समूचा भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया जल संकट से जूझ रही हैं सभावना यह जताई जा रही है कि अगला विश्व युद्ध जल को लेकर लड़ा जायेगा। मानव जाति की अतिवादी आंकाक्षाआें ने जहाँ परम्परागत जल स्त्रोतो को नष्ट किया वहीं जीवन दायिनी रूपी नदियों को भी प्रदूषित किया। आज दुनिया के सामने जल समस्या बहूत विकराल रूप मुँह खोले खड़ी हैं, जल के अमृत तत्वों में जहर घोलकर हमने जल संकट के साथ-साथ जल से संबंधित बिमारियों को भी जन्म दिया। यदि मानव जाति समय रहते जागरूक नही हुई तो जल संकट के फलस्वरूप यह तड़पती हुई नजर आयेगी

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