कोलाम आदिम जनजाति के सामाजिक-सांस्कृतिक संस्कार महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के विशेष संदर्भ में

पंकज उपाध्या

कोलाम आदिम जनजाति के सामाजिक-सांस्कृतिक संस्कार महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के विशेष संदर्भ में

Keywords : कोलाम आदिम जनजाति, संस्कार, सांस्कृतिक, यवतमाल


Abstract

किसी भी समाज के संस्कार उसकी सांस्कृति विरासत कीएक बानगी के तौर पर अन्य समाजों के लिएएक अवधारणात्मक प्रवृति रखते है। संस्कारों की निर्मिति किसी समुदाय की सामाजिक व्यवहारिकी को प्रदर्शित और संदर्भित करने काएक माध्यम होता है। जिसके उद्देश्यों में प्रकृति में विरोधी शक्तियों के प्रभावों को दूर करना तथा हितकारी शक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करना होता है। यह प्रभावशीलता मानव के जीवन को प्रभावित करने वाली आंतरिकएवं बाह्य शक्तियों के संतुलन के लिएएक संस्थागत उत्थान के तौर पर हर संस्कृति और समाज का हिस्सा रही है। सामाजिक अनुशासन और उसकी प्रस्थिति को बनाने तथा समुदाय के नैतिक उत्थान के लिए ये संस्थागत दवाब मनुष्य के संपूर्ण जीवन में किसी न किसी रूप में प्रदर्शित होते है। संस्कार वर्ण-धर्म और आश्रम-धर्म जैसी व्यवस्थाओं के माध्यम से संचालित और परिवर्तित होते है। कोलाम आदिम जनजाति समूह वर्षों के देशज संस्कृति के संवाहक के तौर पर प्रवसन के प्रभावों से विचरण करने वाले समुदाय के रूप में रहा है। इस शोध पत्र के माध्यम से कोलाम की विलुप्त होते सांस्कृति और सामाजिक संस्कारों को चिन्हित किया गया है। जिनके बिना कोलाम की आदिम सभ्यता के संस्कारों की स्थिति को रेखांकित किया गया है।

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