आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के साहित्य में सांस्कृतिक चेतना

विजय कुमारी

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के साहित्य में सांस्कृतिक चेतना

Keywords : साहित्य, विचारधारा, विष्लेशण, संस्कृति, समुदा


Abstract

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी प्राचीन भारतीय संस्कृति के पोषक हैं। उनका समग्र साहित्य उनकी इसी सांस्कृतिक चेतना का प्रस्फुटन है। जीवन में मान जीवन, मानव संस्कृति और मानव संस्कृति में भारतीय संस्कृति की विशिष्टता संपूर्ण मानव समुदाय एक मत स्वीकार करता है वह जाए तो द्विवेदी जी अपने गहन अध्ययन के फलस्वरूप ही भारतीय संस्कृति के अन्तस्तत्वों का अन्वेषण एवं विश्लेषण करनें में पूर्ण सफल हुए हैं, द्विवेदी जी के साहित्य का अधिकांश भाग सांस्कृतिक विचारधारा से अनुप्रणित है। डॉ0 सत्यसागर शम अपने एक लेख में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और भारतीय संस्कृति में लिखते हैं- द्विवेदी जी का साहित्य गुप्तकालीन, बौद्धकालीन, मध्यकालीन और आदिकाल की संस्कृति का संगम है। उसमे इस्लामी संस्कृति का आख्याय, बंधकाररूप भारतीय संस्कृति कवि और समीखक के रूप में भारतीय संस्कृति का पुनरूदारक एवं उन्नायक है। संस्कृति कौर कल के व्याख्यान स्वरूप में द्विवेदी जी का योगदान उल्लेखनीय है।ण्

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